Saturday, March 9, 2019

कौन साज़िश रच रहा है ....राज़िक़ अंसारी

मेरा किरदार कब से जंच रहा है 
मगर जो सच है वो तो सच रहा है

इज़ाफ़ा हो रहा है नफ़रतों में 
न जाने कौन साज़िश रच रहा है 

सफ़ेदी आ गयी बालों में लेकिन 
उसे कहना वो अब भी जच रहा है 

तुम्हारे हाथ की लाली तो देखो 
हमारा ख़ून कितना रच रहा है 

ग़रीबी छूत का है रोग शायद 
मेरा हर दोस्त मुझ से बच रहा है 

चलो चल कर परिंदों की ख़बर लें 
हवा में शोर कब से मच रहा है 

न होगा हज़्म तो फिर क्या करोगे 
अभी तो झूठ सब को पच रहा है 
- राज़िक़ अंसारी 


6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-03-2019) को "पैसेंजर रेल गाड़ी" (चर्चा अंक-3269) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  3. सुंदर व सटीक रचना !

    ReplyDelete
  4. ग़रीबी छूत का है रोग शायद
    मेरा हर दोस्त मुझ से बच रहा है
    वाह !!बहुत खूब सादर नमस्कार

    ReplyDelete
  5. लाजवाब गजल...
    वाह!!!

    ReplyDelete