तुमको अपनी नादानी पर
जीवन भर पछताना होगा!
मैं तो मन को समझा लूंगा
यह सोच कि पूजा था पत्थर--
पर तुम अपने रूठे मन को
बोलो तो, क्या उत्तर दोगी ?
नत शिर चुप रह जाना होगा !
जीवन भर पछताना होगा !
मुझको जीवन के शत संघर्षों में
रत रह कर लड़ना है ;
तुमको भविष्य की क्या चिन्ता,
केवल अतीत ही पढ़ना है !
बीता दुख दोहराना होगा !
जीवन भर पछताना होगा !
-शैलेन्द्र
वाह बहुत ख़ूब
ReplyDeleteसादर
बहुत लाजवाब...।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteप्रेमिका के बेपरवाही को प्रदर्शित करती शैलेंद्र जी की अदभुत कविता।
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