Sunday, March 3, 2019

अधूरा टुकड़ा....श्वेता सिन्हा

बूढ़े पीपल की 
नवपत्रों से ढकी 
इतराती शाखों पर
कूकती कोयल की तान
हृदय केे सोये दर्द को जगा गयी
हवाओं की हँसी से बिखरे 
बेरंग पलाश के मुरझाये फूल,
मन के बंद कपाट पर
दस्तक देते उदास सूखे पत्तों की आहट
 बोगनबेलिया से लदी टहनियोंं
की फुसफुसाहट
महुआ की गंध से व्याकुल हो
इक चेहरा तसव्वुर के
दबी परतों से झाँकने लगता है 
 कुछ सपनों के बीज बोये थे जो
आबादी से दूर पहाड़ की तलहटी में 
उससे उगे
खपरैल महल के छत पर
चाँदनी की सुगंध में भीगी नशीली रात,
मौसम के बेल में 
सुनहरे फूलों से खिलती लड़ियाँ,
इत्र छिड़कते जुगनुओं की टोली
रुह की खुशबू से बेसुध आशियां में
सपनीली अठखेलियों को,
इक रात पहाड़ से उतरी बरसात 
ने ढक लिया अपनी बाहों में
छन से टूटकर खो गयी 
धीमी लौ में जलती लालटेन 
घुप्प गीले अंधेरे में ढूँढती रही 
सपनों के बिखरे लम्स
धुँधलायी आँखों ने देखी
चुपचाप लौटती हुई परछाईयाँ
ऊँची पहाड़ों की गुम होती पगडंडी पर,
जब भी कभी बैठती हूँ
तन्हाई में 
अनायास ही
उस महल के मलबे में 
तलाशने लगती हूँ
मासूम एहसास का 
अधूरा टुकड़ा।


9 comments:

  1. वाह श्वेता ! इस कविता की गणना तुम्हारे सर्वश्रेष्ठ शब्द-चित्रों में की जानी चाहिए.

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (04-03-2019) को "शिव जी की त्रयोदशी" (चर्चा अंक-3264) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    महाशिवरात्रि की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. वाह बहुत सुंदर

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  4. वाह सखी बेहतरीन
    सादर

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  5. पावन शिवरात्री की आप को शुभकामनाएं....
    जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    05/03/2019 को......
    [पांच लिंकों का आनंद] ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......
    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  6. वाह!!!!
    अद्भुत शब्दविन्यास... बहुत ही लाजवाब...।

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  7. शब्दों की इठलाती कुञ्ज-लताओं से झरते भाव रस!

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  8. उस महल के मलबे में
    तलाशने लगती हूँ
    मासूम एहसास का
    अधूरा टुकड़ा।
    एहसासों से लबरेज। बहुत ही सुंदर रचना ,स्नेह सखी

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  9. बहुत खूब 👌👌👌

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