Saturday, February 16, 2019

तुमको परवाह नही....प्रीती श्रीवास्तव

लिखकर खत हम जलाने लगे।
पास रहकर भी दूर जाने लगे।।

तुमको परवाह नही मेरे जानिब।
आंशियां दूर अपना बनाने लगे।।

खुश रहो तुम्हें खुशियां मुबारक।
जख्म दिल के हमें सताने लगे।।

चोट है खायी जो दिल पर हमनें।
देख पत्थर लोग पिघल जाने लगे।।

रोना कैसा तुम्हारे लिये दिलबर।
तुम मयखाना अलग बनाने लगे।।

लौटना नामुमकिन है मेरे लिये।
जश्न की रात में कब्र सजाने लगे।।

कहेगा जमाना तेरी खातिर सनम।
हम जहां से रूठकर यूं जाने लगे।।

कद्र करना उन कद्रदानों की सनम।
जो तेरी महफिल अब सजाने लगे।।

-प्रीती श्रीवास्तव

6 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना

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  2. बेहतरीन रचना

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-02-2019) को "श्रद्धांजलि से आगे भी कुछ है करने के लिए" (चर्चा अंक-3250) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    अमर शहीदों को श्रद्धांजलि के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. कद्र करना उन कद्रदानों की सनम।
    जो तेरी महफिल अब सजाने लगे।।
    बहुत खूब ...........

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  5. वाह !! बहुत ख़ूब
    सादर

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  6. वाह बहुत सुंदर

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