Thursday, December 28, 2017

मेरा पता बता दिया....डॉ. इन्दिरा गुप्ता

दस्तकें आहट से वो कुछ 
इस कदर झुँझला गया 
कौन है , किसने , किसी को 
मेरा पता बता दिया ! 

चैन से सोया हुआ था 
तन्हाई की चादर तान के 
बेवक्त सन्नाटे मै किसने 
शोर सा बरपा दिया ! 

वो नहीँ उनकी थी यादैं 
लिपट कर सोई हुई 
यहाँ भी सताने आ गये 
रूहे चैन गवाँ दिया ! 

जिये किस मानिंद अब तो 
सदाकत चिढ़ाने सी लगी 
ख्वाब , ख्याल , ख्वाहिशो पर 
तीशा किसने चला दिया ! 

राह्तेतलब कहाँ सुकूँ है 
सिर्फ जीना है गुनाह 
इश्किया चौसर पे समझो 
हमने दाँव लगा दिया ! 

डॉ. इन्दिरा गुप्ता .✍

9 comments:

  1. वो नहीँ उनकी थी यादैं
    लिपट कर सोई हुई
    यहाँ भी सताने आ गये
    रूहे चैन गवाँ दिया !
    बहुत सुन्दर....

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    1. शुक्रिया सराहना के लिये !

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  2. राह्तेतलब कहाँ सुकूँ है सिर्फ जीना है गुनाह
    इश्किया चौसर पे समझो हमने दाँव लगा दिया !
    ....बस मेरा ही पता बता दिया आपने।
    बहुत ही सुंदर भावप्रवन रचना आदरणीय इंदिरा जी। बधाई।

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    1. 🙏अद्भुत सराहना ..शुक्रिया

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  3. अति आभार दी मेरी नज़्म को आपकी धरोहर में संजोया आपने ! 🙏

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  4. बहुत सुंदर...
    मेरी तरफ से शुभकामनाएं

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (29-12-2017) को "गालिब के नाम" (चर्चा अंक-2832) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    क्रिसमस हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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