लिख रहे हैं आप
मानवता पर
लिखिए
जी चाहे
जितना हो
स्याही कलम में
खतम हो जाए
तो और भर लो
कलम को सियाही से
सोचकर जितना
अच्छा लिखना हो
लिख डाले..और
करते रहो
प्रतीक्षा...
उसी मानवता की
जिसकी बाट आप
जोह रहे हैं
आनेवाली हर गाड़ी
देख लो...सब आएँगे
पर ,,,,,,मानवता
जिसकी तुम्हें प्रतीक्षा है
वो तो कबकी
निवाला बन चुकी है
आराम फरमा रही है
पेट में...
नेताओं और आतंकियों
के....पर
हजम नहीं हुई अबतक
यशोदा ..
मन की उपज
बहुत उम्दा
ReplyDeleteसटीक तंज
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteमानवता के हजम होते ही समाज अस्तित्व विहीनता की ओर अग्रसर हो जाएगा। विचारशील रचना। बधाई एवं शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवाह क्या खूब निशाना यशोदा दी ....👌👌👌👌
ReplyDeleteतीखा और गहरा व्यंग जो सत्य का पोषक है। खरी खरी रचना। मानवता भी विष्णु के दसवें अवतार की तरह न जाने कब आयेगी।
ReplyDeleteअप्रतिम रचना।