Sunday, December 17, 2017

मानवता


लिख रहे हैं आप
मानवता पर
लिखिए
जी चाहे
जितना हो
स्याही कलम में
खतम हो जाए 
तो और भर लो
कलम को सियाही से
सोचकर जितना
अच्छा लिखना हो
लिख डाले..और
करते रहो
प्रतीक्षा...
उसी मानवता की
जिसकी बाट आप
जोह रहे हैं
आनेवाली हर गाड़ी
देख लो...सब आएँगे
पर ,,,,,,मानवता
जिसकी तुम्हें प्रतीक्षा है
वो तो कबकी
निवाला बन चुकी है
आराम फरमा रही है
पेट में...
नेताओं और आतंकियों
के....पर
हजम नहीं हुई अबतक
यशोदा ..
मन की उपज

6 comments:

  1. बहुत उम्दा
    सटीक तंज

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  3. मानवता के हजम होते ही समाज अस्तित्व विहीनता की ओर अग्रसर हो जाएगा। विचारशील रचना। बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  4. वाह क्या खूब निशाना यशोदा दी ....👌👌👌👌


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  5. तीखा और गहरा व्यंग जो सत्य का पोषक है। खरी खरी रचना। मानवता भी विष्णु के दसवें अवतार की तरह न जाने कब आयेगी।
    अप्रतिम रचना।

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