अपने जीवन में सादगी रखना
आदमियत की शान भी रखना
डस न ले आस्तीं के सांप कहीं
इन से महफ़ूज़ ज़िंदगी रखना
हों खुले दिल तो कुछ नहीं मुश्किल
दुश्मनों से भी दोस्ती रखना
मुस्तक़िल रखना मंज़िले-मक़सूद
अपनी मंज़िल न आरज़ी रखना
ए सुख़नवर नए ख्यालों की
अपने शेरों में ताज़गी रखना
अपनी नज़रों के सामने ‘शेरी’
‘मीरो-ग़ालिब’ की शाइरी रखना
-चाँद शेरी
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर शेर
ReplyDeleteवाह अति सुंदर सीख
ReplyDeleteमानले तो यश मिले
नहीँ तो माँगोगे बस भीख !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-12-2017) को
ReplyDelete"लाचार हुआ सारा समाज" (चर्चा अंक-2820)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब
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