दो पल की जिंदगी
मुझे कोई उधार दे दे
पतझड़ सी जिंदगी मे
थोडी बहार दे दे।
आने को कोई कह दे
बेचैन-सी मै हो लूं
वो आए या न आए
पर इंतजार दे दे ।
जीने पर चाहूं मरना
मरने पर चाहूं जीना
इस बेकरार दिल को
कोई करार दे दे ।
नाजुक ये नब्ज आंखें
अब बंद होने को है
अर्थी उठाने ही को
दो दो कहार ले ले ।
-अवधेश प्रसाद
बहुत बहुत सुंदर रचना👌
ReplyDeleteव्यथित मन की छोटी छोटी अभिलाषाऐं जैसे एक मुठ्ठी आसमान तो सबका हक बनता है।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-12-2017) को "सब कुछ अभी ही लिख देगा क्या" (चर्चा अंक-2819) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteअति मार्मिक रचना ...
ReplyDeleteअर्थी उठाने को कहार देदो ....
कितनी व्यथा भरी शब्दो मै
आस संग निराश भरी
असमँजस मै दिल है कोमल
जब जो हो जाये सही !
बहुत बढ़ीया।
ReplyDeleteलाजवाब रचना....
ReplyDeleteBahut sundar!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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