Tuesday, December 26, 2017

ठण्डी भीगी ऋतु....डॉ. इन्दिरा गुप्ता

ठण्डी भीगी ऋतु आवन से 
गोरी मन गर्माये 
दरीचों से झाँक रही है 
सूनी सूनी राहें ! 

चाँद अकेला रात है तन्हा 
शीतलता बरसाये 
हिये फफोले से पड़े 
चंदनिया जली जाये ! 

कतरा कतरा शबनम बहे 
दस्तक देती जाय 
इंद्रधनुष से ख्वाब रंगीले 
कब सुरमई हो पाय ! 

डॉ. इन्दिरा गुप्ता ✍

6 comments:

  1. सूनी सूनी राहें

    सुन्दर।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-112-2017) को "सर्दी की रात" (चर्चा अंक-2830) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. 🙏अति आभार शास्त्री ज़ी

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  3. बहुत सुंदर रचना प्रिय इन्दिरा जी👌

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    1. अति आभार प्रिय श्वेता ज़ी ...🙏

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