Monday, December 25, 2017

हाइकु भूमि......रामशरण महर्जन


मन के रंग
रंग देता जन को
हाइकु भूमि |

उड़ते पंछी
सवारते जीवन
स्मृति के पन्ने |

अमूल्य देह
मत फेंको वक्त पे
जीवन डालो |

बात बात को
ठुकराना नहीं तू
शब्द बाण से |

खिलौना नहीं
और से मत तौलो
बड़ी है ज्यान |

चंचल बच्चें
रंग भरता  हमें
रूठी पल में |

दुखों के आँशु
सवारता जिंदगी
शक्ति बना लो |

प्यार की डोरें
बांधता जन्म-जन्म
रिश्तें हमारा |

डूबता रहा
पहचाने आप को
झील हाइकु |

जीनें सहारा
मुश्किलों से सामना
ये हुई बात |

जगाते रहो
उम्मीदों को दीप पे
फूलों के वर्षा |
- रामशरण महर्जन
काठमाण्डू
नेपाल



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