चांद सूरज दो दवातें, कलम ने बोसा लिया
लिखितम तमाम धरती, पढ़तम तमाम लोग
साईंसदान दोस्तों !
गोलियां, बंदूकें और एटम बनाने से पहले
इस ख़त को पढ़ लेना
हुक्मरान दोस्तों !
सितारों की हरफ़ और किरणों की बोली
अगर पढ़नी नहीं आती
किसी अदीब से से पढ़वा लेना
अपने किसी महबूब से पढ़वा लेना
और हर एक मां की यह मातृ-बोली है
तुम बैठ जाना किसी ठाँव
और ख़त पढ़वा लेना अपनी मां से
फिर आना और मिलना
कि मुल्क की हद है जहां है
एक हद मुल्क का
और नाप कर देखो
एक हद इल्म का
एक हद इश्क की
और फि बताना कि किसकी हद कहां है
गोलियां, बंदूकें और एटम बनाने से पहले
इस ख़त को पढ़ लेना
हुक्मरान दोस्तों !
सितारों की हरफ़ और किरणों की बोली
अगर पढ़नी नहीं आती
किसी अदीब से से पढ़वा लेना
अपने किसी महबूब से पढ़वा लेना
और हर एक मां की यह मातृ-बोली है
तुम बैठ जाना किसी ठाँव
और ख़त पढ़वा लेना अपनी मां से
फिर आना और मिलना
कि मुल्क की हद है जहां है
एक हद मुल्क का
और नाप कर देखो
एक हद इल्म का
एक हद इश्क की
और फि बताना कि किसकी हद कहां है
चांद सूरज दो दवातें
हाथ में कलम लो
इस ख़त का जवाब दो
-तुम्हारी-अपनी-धरती
तुम्हारे ख़त की राह देखते बहुत फिकर कर रही
-अमृता प्रीतम
जन्मः 31 अगस्त , 1919
गुजरावाला , पंजाब
निधनः 31 अक्टूबर 2005, दिल्ली
स्रोतः रसरंग
वाह ! कितना सुन्दर खत है ! काश कोई इसके मर्म को समझ सके ! आभार आपका यशोदा जी सबसे शेयर करने के लिये !
ReplyDeleteएक जानी-मानी हस्ती जिनकी लेखनी मन को छूती है उनका खत पढने को मिला ,धन्यवाद
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteवाह !!!
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