दर्द अपनाता है पराए कौन
कौन सुनता है सुनाए कौन
कौन दोहराए वो पुरानी बात
ग़म अभी सोया है जगाए कौन
वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं
कौन दुख झेले आज़माए कौन
अब सुकूं है तो भूलने में है
लेकिन उस शख़्स को भुलाए कौन
आज फिर दिल है कुछ उदास-उदास
देखिए आज आज याद आए कौन
-जावेद अख़्तर
... मधुरिमा से..
वाह ! बहुत ही खूबसूरत !
ReplyDeleteJaved akhtar ji ki gazal dil ko chuti hai ... Gazal sanjha karne ke liye dhanywad!!
ReplyDeleteJaved akhtar ji ki gazal dil ko chuti hai ... Gazal sanjha karne ke liye dhanywad!!
ReplyDeleteJaved akhtar ji ki gazal dil ko chuti hai ... Gazal sanjha karne ke liye dhanywad!!
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत गजल ....जावेद जी की गजल या पंक्तियाँ उस सतह से बनती है जहाँ कोई भी कवि उनके बाद ही पहुचता पाता है. उनके शब्दों की सादगी कायल करती है ......हमेशां !!
ReplyDeleteलाजवाब !
ReplyDeleteजावेद जी की एक अच्छी रचना।
बहुत खूबसूरत गज़ल !
ReplyDeleteज़ावेद जी का ग़ज़ल तो लाज़वाब है !
ReplyDelete: शम्भू -निशम्भु बध --भाग १
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteइस प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। ये एक बहुत ही अच्छा प्रयास अच्छे रचनाकारों को पाठकों से जोड़ने का। स्वयं शून्य
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