हक़ीक़तों की सदा कौन सुनने वाला है
यहाँ तो झूट का ऐ यार बोलबाला है
अब आज़माये हुए को भी आज़माना क्या
वो शख्स अपना हमेशा का देखा-भाला है
शफ़क़ के रुख़ पे शबे-ग़म का ख़ून बिखरा है
सहर का आज तो कुछ रंग ही निराला है
गिला करें भी तो बेमेहरियों का किस से करें
ज़मीर मुर्दा है और दिल सभी का काला है
है अपनी दुनिया तो दिल के नियाज़ख़ाने में
यही कलीसा है अपना यही शिवाला है
ग़ुरूरे-ज़ात सलामत, ये जाँ रहे न रहे
जिगर का ख़ून पिला कर अना को पाला है
हर एक याद शबे-ग़म में जगमगाती है
‘अंधेरा है, कि तेरे हिज्र में उजाला है’
है लबकुशाई भी संगीन जुर्म ऐ “मुमताज़”
हैं फ़िक्रें ज़ख़्मी, ज़ुबानों पे सब की ताला है
मुमताज़ नाज़ाँ
यहाँ तो झूट का ऐ यार बोलबाला है
अब आज़माये हुए को भी आज़माना क्या
वो शख्स अपना हमेशा का देखा-भाला है
शफ़क़ के रुख़ पे शबे-ग़म का ख़ून बिखरा है
सहर का आज तो कुछ रंग ही निराला है
गिला करें भी तो बेमेहरियों का किस से करें
ज़मीर मुर्दा है और दिल सभी का काला है
है अपनी दुनिया तो दिल के नियाज़ख़ाने में
यही कलीसा है अपना यही शिवाला है
ग़ुरूरे-ज़ात सलामत, ये जाँ रहे न रहे
जिगर का ख़ून पिला कर अना को पाला है
हर एक याद शबे-ग़म में जगमगाती है
‘अंधेरा है, कि तेरे हिज्र में उजाला है’
है लबकुशाई भी संगीन जुर्म ऐ “मुमताज़”
हैं फ़िक्रें ज़ख़्मी, ज़ुबानों पे सब की ताला है
मुमताज़ नाज़ाँ
09167666591 09867641102
http://wp.me/p2hxFs-1Dk
खूबसूरत दिलकश गजल.... दुनिया की हकीकत से रूबरू करवाती हुई
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