सर से पानी गुज़र गया होता
ख़ौफ़ दिल से उतर गया होता
तू जो मुझको न भूल पता गर
तू भी मुझसा बिखर गया होता
आजिज़ी कितने काम आती है
सर उठाता तो सर गया होता
मुंतज़िर मेरा जो होता कोई
लौटकर मैं भी घर गया होता
ज़िंदगी हिज्र की बुरी है बहुत
इससे बेहतर था मर गया होता
आलोक मिश्रा 09876789610
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बहुत सुन्दर ...!
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...!
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteसुप्रभात।
नववर्ष में...
स्वस्थ रहो प्रसन्न रहो।
आपका दिन मंगलमय हो।
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुंदर....नव वर्ष मंगलमय हो आपका....
ReplyDeleteकाफी उम्दा रचना....बधाई...बेहतरीन चित्रण....
नयी रचना
"एक नज़रिया"
आभार
बहुत सुंदर प्रस्तुति...!साझा करने के लिए आभार ....
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...!
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.
बहुत उम्दा !
ReplyDeleteनया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
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बेहतरीन
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