Thursday, January 16, 2014

एक ज़रा सा दिल टूटा है...............क़तील शिफ़ाई


सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको
जो दरीचा भी खुले तो नज़र आए मुझको।।

सदियों का रस जगा मेरी रातों में आ गया
मैं एक हसीन शख्स की बातों में आ गया।।

जब तस्सवुर मेरा चुपके से तुझे छू आए
देर तक अपने बदन से तेरी खुश़बू आए।।

गुस्ताख हवाओं की शिकायत न किया कर
उड़  जाए  दुपट्टा  तो  खऩक  कर ।।

तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे हालात नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटा है और कोई बात नहीं।।

रात के सन्नाटे में हमने क्या-क्या धोखे खाए हैं
अपना ही दिल धड़का तो हम समझे वो आए हैं।।
 

- क़तील शिफ़ाई

 

जन्मः दिसम्बर,1919, हरिपुर 
अवसानः जुलाई,2001, लाहोर

रसरंग,रविवार12, जनवरी,2014

5 comments:

  1. शुभ प्रभात छोटी बहना
    उम्दा गज़ल
    लाजबाब शेर
    हार्दिक शुभकामनायें छोटी बहना।

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  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (17.01.2014) को " सपनों को मत रोको (चर्चा -1495)" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है,धन्यबाद।

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  3. behatarin gajal se parchay karavaya aapne ...................dhanyvad

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