Friday, January 17, 2014

अपना किरदार मोतबर रखना............ दानिश भारती



पाँव जब भी इधर-उधर रखना
अपने दिल में ख़ुदा का डर रखना

रास्तों पर कड़ी नज़र रखना
हर क़दम इक नया सफ़र रखना

वक़्त, जाने कब इम्तेहां माँगे
अपने हाथों में कुछ हुनर रखना


मंज़िलों की अगर तमन्ना है
मुश्किलों को भी हमसफ़र रखना

खौफ़, रहज़न का तो बजा, लेकिन
रहनुमा पर भी कुछ नज़र रखना

सख्त लम्हों में काम आएँगे
आँसुओं को सँभाल कर रखना

चुप रहा मैं, तो लफ़्ज़ बोलेंगे
बंदिशें मुझ पे, सोच कर रखना

आएँ कितने भी इम्तेहां  "दानिश"
अपना किरदार मोतबर रखना

-दानिश भारती

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रहज़न=लुटेरा, रहनुमा=मार्ग दर्शक, किरदार=चरित्र, मोतबर=निर्मल/साफ़

8 comments:

  1. इस दौरे-जहान मुश्किल है ग़ालिब..,
    तअल्लुक़ी उम्मीदें मुख़्तसर रखना.....

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  3. मंज़िलों की अगर तमन्ना है
    मुश्किलों को भी हमसफ़र रखना
    सख्त लम्हों में काम आएँगे
    आँसुओं को सँभाल कर रखना
    बहुत सुन्दर

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