सर झुकए सब से नज़रे छुपाए
वो चले जा रही अपनी राह
सर का आँचल
चेहरा का नकाब
सब को संभाले
वो चली जा रही अपने राह
कुछ ने कहा वहीं है ये
इसी की कोई गलती होगी
कोई ऐसे ही नहीं डालेगा
तेज़ाब
लोगो की बातोँ की जलन ने
उसके अंदर के साहस को जलाया
उसे लगा एक बार फिर उस पर
किसी ने तेज़ाब सा ज़हर डाला
तेज़ाब से चेहरा जले तो एक बात
सपने,हौसले,रिश्ते इज़्जत तक
जल जाता है
तेज़ाब ने उसकी चमड़ी नहीं,
जिंदगी जला डाली
जलने का निशान गहरे ,
आत्मा तक पड़ गया
घुटन, बेबसी की एक काली जिंदगी
साथ लिए वो जी रही थी
आज वो चल पड़ी
मिटाने शरीर, आत्मा पर पड़े निशान
चल पड़ी अपने सम्मान, मान,
खोई जिन्दगी के लिए
मंजिल की तलाश में
ताने दे चाहे कोई या
खड़ा हो जाए राह में
तेज़ाब के जलन को छोड़ कर
आज निकल चली
नए असमान की तलाश में.
एक नए असमान की तलाश में………..
-रिंकी राउत
कल 13/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
Kitna kadva sach......marmik
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteबहुत खूब बहुत सार्थक ..
ReplyDeleteKADVA SACH KO PRASTUT KARTI MAARMIK ABHIVYAKTI ..INSAANIYAT KO SARMSAAR KARTI YE GHATNAYE AAJ BHI BADSTUR JARI HAI ... KADI SAJA KA JAB TK BANDOBAST NHI HOGA SAYAD HI INME KAMI AYE ..
ReplyDelete