Sunday, August 18, 2019

ख़याल ही सबूत है...गुलज़ार

बुरा लगा तो होगा ऐ खुदा तुझे,
दुआ में जब,
जम्हाई ले रहा था मैं--
दुआ के इस अमल से थक गया हूँ मैं !
मैं जब से देख सुन रहा हूँ,
तब से याद है मुझे,
खुदा जला बुझा रहा है रात दिन,
खुदा के हाथ में है सब बुरा भला--
दुआ करो !
अजीब सा अमल है ये 
ये एक फ़र्जी गुफ़्तगू,
और एकतरफ़ा--एक ऐसे शख्स से,
ख़याल जिसकी शक्ल है 
ख़याल ही सबूत है.
-गुलज़ार

6 comments:

  1. गुलज़ार साहब का अंदाज सदा निराला ।
    बहुत उम्दा ख़्याल ‌।

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (19-08-2019) को "ऊधौ कहियो जाय" (चर्चा अंक- 3429) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete