Monday, August 19, 2019

बाकि है तन्हा सफ़र तेरा ...पूजा प्रियंवदा

कितनी अँधेरी रातों के बाद 
कितने अकेले सफ़र तमाम 
परिंदे ने कहीं फ़िर 
आसरे की उम्मीद कर ली थी


घर ने कहा तू लौट जा 

कोई और अब रहता है यहाँ 
बाकि है तन्हा सफ़र तेरा !


लौटा है सफ़र में 

अकेला परिंदा 
फ़कीर रूह न किसी की 
न कहीं इसका बसेरा
- पूजा प्रियंवदा

7 comments:

  1. वाह!हर परिंदे की यही कहानी है।

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-08-2019) को "सुख की भोर" (चर्चा अंक- 3433) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  3. बेहद खूबसूरत रचना ।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर और सार्थक ...आभार

    ReplyDelete