जब समय न मिले तब भी आना ...केदारनाथ सिंह
आना
जब समय मिले
जब समय न मिले
तब भी आना
आना
जैसे हाथों में
आता है जाँगर
जैसे धमनियों में
आता है रक्त
जैसे चूल्हों में
धीरे-धीरे आती है आँच
आना जैसे बारिश के बाद
बबूल में आ जाते हैं
नए-नए काँटे
आना जैसे मंगल के बाद
चला आता है बुध
आना
~ केदारनाथ सिंह
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन ।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और भावमय
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22.8.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3435 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत सुंदर
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