प्रेम का धागा नहीं टूटता
जब तक उसमें शक का दीमक
या
अविश्वास का घुन ना जुड़ता
खोखला होगा तभी तो टूटेगा
मैं जब कढ़ाई या बुनाई करती हूँ ...... तो जब गाँठ डालना होता है
गाँठ डालना होगा न ... क्योंकि लम्बे धागे उलझते हैं
और उलझाव से धुनते धुनते कमजोर भी होने लगते हैं
और ऊन का 25 या 50 ग्राम का गोला होता है
400 से 600 ग्राम का गोला तो
मिलता नहीं ना
जहाँ खत्म हुआ सिरा और शुरू होने वाला सिरा के पास
थोड़ा थोड़ा उधेड़ती हूँ
फिर दोनों के दो दो छोर हो चार छोर हो जाते हैं
दो दो छोर सामने से मिला बाट लेती हूँ
फिर गाँठ का पता नहीं चलता है
क्या रिश्ते के गाँठ को यूँ नहीं छुपाया
जा सकता है
कुछ कुछ छोर तक उधेड़ डालो न मन को
हर गाँठ को सुलझाया जा सकता है
रफ़ू से चलती है जिंदगी
-- विभा रानी श्रीवास्तव
सस्नेहाशीष व अक्षय शुभकामनाओं संग हार्दिक आभार पुत्तर जी
ReplyDeleteगौरव की बात है इस ब्लॉग पर शब्दों का पोस्ट होना
काव्य-कथा जीवन-कथा का एक अंश प्रस्तुत करती है और नीति ज्ञान को सरलतम रूप में प्रस्तुत करती है.
ReplyDeleteप्रेरक रचना.
सादर नमन दीदी.
जीवन यूं ही जीया जाता है ..जीने की उत्तम कला की सीख देती खूबसूरत रचना ।
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (27-08-2019) को "मिशन मंगल" (चर्चा अंक- 3440) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 27 अगस्त 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपनें तो जीवन जीने का सच्चा ज्ञान दे दिया आदरणीय विभा जी !
ReplyDeleteवाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।
ReplyDeleteBhojpuriSong.in
वाह बहुत ही सुंदर बात!
ReplyDeleteरिश्तों के धागे यूं जोड़ों के समरस हो कोई गांठ ना रह जाए।
अप्रतिम।
वाह!!!
ReplyDeleteक्या बात कही है वैसे भी गाँठ बंधे रिश्ते मनमुटाव के साथ जीने से बेहतर है आपका सुझाया मार्ग...
ऐसा वही कर सकता है जो आपकी तरह धागे पर भी गाँठ बनने ही न देता हो....
बहुत ही लाजवाब...
ये अनुभव ही नहीं सच्चा सार जीवन में रिश्तों के साथ खुश रहने का।
वाह अनुपम सृजन
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