समाई हुई हैं इसी जिन्दगी में...यशोदा अग्रवाल
क्या है...
ये कविता..
क्यों लिखते हैं....
झांकिए भीतर
अपने जिन्दगी के
नजर आएगी एक
प्यारी सी कविता
सुनिए ज़रा
ध्यान से...
क्या गा रही है
ये कविता....
देखिए इस नन्हें बालक
की मुस्कुराहट को
नज़र आएगी एक
प्यारी सी
मुस्काती कविता....
दिखने वाली
सभी कविताएँ
जिनमें..
हर्ष है और
विषाद भी है
सर्जक है
विध्वंसक भी है
इसमे संयोग है...
और वियोग भी है
है पाप भी
और प्रेम का
प्रदर्शन का
संगम है
समाई हुई हैं
इसी जिन्दगी में
ये प्यारी सी
कविता...!!
लेखिका परिचय - यशोदा अग्रवाल
वाह! कविता के अंदर से झांकता कविता का मर्म।
ReplyDeleteसच्ची !!! जीवन का हर एक पल एक-एक पन्ना ही है रचनाओं के सृजन के लिए ...
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteवाह सुन्दर
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" शुक्रवार 16 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सभी कविताएँ
ReplyDeleteजिनमें..
हर्ष है और
विषाद भी है
सर्जक है
विध्वंसक भी है
इसमे संयोग है...
और वियोग भी है
है पाप भी
और प्रेम का
प्रदर्शन का
संगम है
वाह!!!
कविता आखिर है क्या... जीवन का अनुभव
बहुत ही सुन्दर... लाजवाब।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-08-2019) को " समाई हुई हैं इसी जिन्दगी में " (चर्चा अंक- 3430) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
वाह दी---------बेहतरीन।
ReplyDeleteमार्मिक ओर विचित्र चित्रण
सादर नमन।।
मैं तो मुग्ध हूँ
ReplyDeleteसस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं छोटी बहना
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजो हर कवि समझता है और दुनिया को समझाना भी चाहता है वो आपने यशोदा जी बहोत सरलता से समझा दिया I
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