प्यार है तो जताया भी करो
दर्द है तो बताया भी करो
रूठे हुओं को मनाया भी करो
जज़्बात छिपाये तो
टीस उठेगी
छिपाने की जगह दिखाया भी करो
ज्यादा दिन दूर रहने से
दूरियां बढ़ जाती हैं
कभी कभी दोस्तों से मिल आया भी करो
बिन मांगी सलाह बहुत देते हो मेरी जान
कभी अपनी सलाह पर भी अमल कर आया करो
-इन्द्रा
वर्डप्रेस
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (23-08-2019) को "संवाद के बिना लघुकथा सम्भव है क्या" (चर्चा अंक- 3436) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बढ़िया
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