इन प्यार भरी बातों में?
रिश्ते बन जाते हैं
चन्द मुलाकातों में ।
मौसम कोई हो
हम अनायास गाते हैं,
बंजारे होठ मधुर
बाँसुरी बजाते हैं,
मेंहदी के रंग उभर आते हैं
हाथों में ।
खुली-खुली आँखों में
स्वप्न सगुन होते हैं,
हम मन के क्षितिजों पर
इन्द्रधनुष बोते हैं,
चन्द्रमा उगाते हम
अँधियारी रातों में ।
सुधियों में हम तेरी
भूख प्यास भूले हैं
पतझर में भी जाने
क्यो पलाश फूले हैं
शहनाई गूँज रही
मंडपों कनातों में।
-जयकृष्ण राय तुषार
बहुत सुंदर भाव कविता।
ReplyDeleteबहुत सुंदर..!
ReplyDeletehttps://www.shayaribyraj.com/2018/12/gazal-mohabbat-ki-hawa-ka-asar.html
वाह
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (07-12-2018) को "भवसागर भयभीत हो गया" (चर्चा अंक-3178) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुंदर।
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब....
ReplyDeleteवाह!!!