दो दिन का इश्क़
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मेरी तन्हाइयों में
तुम्हारा एहसास
कसमसाता है,
तुम धड़कनों में
लिपटे हो
मेरी साँसें बनकर।
बेचैन वीरान
साहिल पे बिखरा
कोई ख़्वाब,
लहर समुन्दर की
पलकों को
नमकीन करे।
सोचा न सोचूँ तुम्हें
ज़ोर ख़्यालों पर
कैसे हो,
तुम फूल की ख़ुशबू
भँवर मन
मेरा बहकता है।
दो दिन का
तेरा इश्क़ सनम
दर्द ज़िंदगीभर का,
फ़लसफ़ा
मोहब्बत का
समझ न आया हमको।
शिशिर
शिशिर
रात की आग़ोश में
संग चाँदनी के
ख़ूब रोया दिल,
सुबह की पलकों पे
शबनमी क़तरे
गवाही देते।
-श्वेता सिन्हा
सुन्दर भाव।
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर
ReplyDeleteतुम फूल की ख़ुशबू
ReplyDeleteभँवर मन
मेरा बहकता है ....""
वाह वाह बहुत ही सुन्दर पंक्तियां आदरणीया श्वेता जी
👏👏✍✍💐💐