न औरत हूँ न मर्द हूँ
अपने जन्मदाता का अनवरत दर्द हूँ।
सुन्दर नहीं हूँ, असुंदर भी नहीं
हुस्न और इश्क़ का सिकंदर भी नहीं।
मखौल हूँ समाज का, हँसी का लिबास हूँ,
ग़लत ही सही ईश्वर का हिसाब हूँ।
जान मुझमें भी है, संवेदना भी
जन्म भले न दूँ, पालक लाज़वाब हूँ।
हँसते हो, खिलखिलाते हो,मज़ाक बनाते हो,
तुम्हारी नीचता का क़रारा जवाब हूँ।
तुम्हारे जन्म पर तालियाँ बजाता हूँ,
अपने होने की क़ीमत माँग जाता हूँ,
मर्द का जिगर हूँ , औरत की ममता हूँ
पके हुए ज़ख्म सा हर पल रिसता हूँ
देहरी और दालान के बीच में अटका हूँ
पाच उँगलियों के साथ छठी उँगली सा लटका हूँ।
चंद सिक्के फेंक कर पीछा छुड़ाते हो,
क्यों नहीं मेरा दर्द थोड़ा सा बाँट जाते हो।
मुझमें भी साँसे हैं, मेरे भी सपने हैं,
पराये ही सही कुछ मेरे भी अपने हैं,
प्यार की झप्पी पर मेरा भी हक़ है,
इज़्ज़त की रोटी मुझे भी पसंद है।
नागरिक किताबों में बोया हुआ अक्षर हूँ,
पूरे लिखे पत्र का ज़रूरी हस्ताक्षर हूँ।
नर और नारायण के बीच का बवंडर हूँ
सरकारी दस्तावेज़ों में थर्ड जेंडर हूँ।
-अपर्णा बाजपेई
'जाके फटे न पैर बिवाई,
ReplyDeleteसो क्या जाने, पीर पराई'
बहुत विचरोत्तेजक कविता !थर्ड जेंडर का दर्द, सामान्य स्त्री-पुरुष नहीं समझ सकते. अपमान और उपहास का जीवन जीने के लिए अभिशप्त इस समुदाय के साथ मानवीयता और समानता का व्यवहार आज समय की मांग है. लेकिन इस समानता के अधिकार के लिए स्वयं इस थर्ड जेंडर को आगे आना होगा. भीख, नाच-गाने को छोड़ कर उसे तथाकथित सम्मानित व्यवसायों को अपनाना होगा.
हदयस्पर्शी....
ReplyDeleteअनूठी रचना !
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (17-12-2018) को "हमेशा काँव काँव" (चर्चा अंक-3188) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
मर्मस्पर्शी रचना
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी , सच्चे दर्द का सत्य
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 18/12/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
सटीक प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही हृदयस्पर्शी रचना
ReplyDeleteअद्भुत एव अविस्मरणीय...
लाजवाब प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं अर्पणा जी...
मर्मस्पर्शी रचना
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