मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Friday, December 28, 2018
अश्रु नीर.....दीपा जोशी
यह नीर नही
चिर स्नेह निधि
निकले लेन
प्रिय की सुधि
संचित उर सागर
निस्पंद भए
संग श्वास समीर
नयनों में सजे
युग युग से
जोहें प्रिय पथ को
भए अधीर
खोजन निकले
छलके छल-छल
खनक-खन मोती बन
गए घुल रज-कण
एक पल में
-दीपा जोशी
3 comments:
रवीन्द्र भारद्वाज
December 28, 2018 at 8:20 AM
यह नीर नही
चिर स्नेह निधि
निकले लेन
प्रिय की सुधि..
बेहतरीन रचना जी
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मन की वीणा
December 28, 2018 at 11:48 AM
बहुत सुंदर विरह रचना।
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उर्मिला सिंह
December 28, 2018 at 12:17 PM
बहुत सुन्दर
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यह नीर नही
ReplyDeleteचिर स्नेह निधि
निकले लेन
प्रिय की सुधि..
बेहतरीन रचना जी
बहुत सुंदर विरह रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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