मन बगिया
सुख दुख के पुष्प
साथ खिलते
-*-
खिला गुलाब
कांटों बीच मुस्काता
जीना सिखाता
-*-
जीवन रीत
तप के ही मिलते
सोने से दिन ..!!!
-*-
आशा की डोरी
हौंसलों के मनके
पिरोई जीत
-*-
बेटी की हँसी
महके अंगनारा
फूलों सी खिली
- आभा खरे
१ जून २०१८
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (23-07-2018) को "एक नंगे चने की बगावत" (चर्चा अंक-3041) (चर्चा अंक-3034) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बहुत सुन्दर
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