Friday, July 20, 2018

हिंडोला....उर्मिला सिंह

मोह माया से सजा हिंडोला,
सांसों की लागी डोरी!
तृष्णा रह रह पटेंग मारती,
हिंडोला झूल रही है काया!!

तन की तृष्णा तनिक है!
मन की तृष्णा है अनन्त !!
धन दौलत धरी रह जाये,
बुलावा जब पी का आये!!

काम क्रोध का है मेला,
जिसमें बिचरत नश्वर काया!
टूटी जब साँसों की डोरी,
टूट गया सजा हिंडोला !
मिट्टी का तन रह गया अकेला!!
#उर्मिला सिंह

9 comments:

  1. बहुत ही सुंदर और जीवन के सत्य को दर्शाती पंक्तियाँ शुभकामनाएं उर्मिला जी

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  2. बहुत सुन्दर रचना

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  3. वाह वाह ...दी आध्यात्म और हिंडोला अद्भुत साम्य

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  4. प्रणाम दीदी बहुत सुंदर रचना

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  5. अद्भुत सुंदर आध्यात्मिक हिण्डोला।
    बहुत सुंदर दी रचना के माध्यम से संसार निस्सार है कहती प्रेरक रचना।

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २३ जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  7. बहुत सुंदर रचना

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  8. वाह ! हिंडोले के माध्यम से संसार की नश्वरता का परिचय देती सुंदर कविता

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