हिंडोला झूल रही राधा प्यारी
झुलावे कृष्ण मुरारी ना......
छाई काली घटा मतवारी
झुलावें कृष्ण मुरारी ना...
पी..पी..पपिहा सुर में गावे
कोयल प्यारी कुक सुनावे
मादक स्वर बंसी के बाजे
सुध बुध खोवें राधा रानी ना....
झुलावें कृष्ण मुरारी ना.....
ऊंची पेंग अम्बर को छुवे
प्रेम मगन राधे ..मोहन देखें
रुनझुन बाज रही पैजनिया
हँसि हँसी हरि झूला झुलावे ना...
झूला झूल रही राधे प्यारी
झुलावें कृष्ण मुरारी ना...
गोप गोपी हँसी हँसी नाचे
हर्षित मेघा जल बरसावे
देव मुनी बलि बलि जावें
देख के अनुपम जोड़ी ना....
झुला झूल रहीं राधा प्यारी
झुलावें कृष्ण मुरारी ना.....
-उर्मिला सिंह
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर रचना 👌👌👌
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २३ जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर दी मन भावन कजरी। जो सावन मे गाई जाने वाली रागिनी है और झूले से जुड़ी है उसकी तानें।
ReplyDeleteबहुत प्यारा गीत
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