Friday, January 5, 2018

मैं उसकी माँ हूँ....रश्मि भटनागर


पहली बार जब उसे छुआ,
लगा..ओस में भींगे गुलाब को छुआ..! 
उसकी चमकती आँखों ने हर बार 
मेरी आँखों में पालते सपनों को छुआ। 

दुःख की तेज़ हवाओं में उसने 
हर बार हौले से मेरे कंधे को छुआ,
उसकी हर छुअन ने हर बार 
मेरी उड़ान और हौसले को छुआ। 

उलझी-उलझी उलझनों में सदा 
उसकी सही सोच ने मेरी समझ को छुआ। 
उसके दिल ने हर बार 
मेरे दिल की धड़कनों को छुआ। 

इसीलिए मैं अब तक ज़िंदा हूँ 
क्योंकि...वो मेरी बेटी है...और 
मैं उसकी माँ हूँ।  

-रश्मि भटनागर

3 comments:

  1. वाह... बहुत सुन्दर...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (06-01-2018) को "*नया साल जबसे आया है।*" (चर्चा अंक-2840) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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