Friday, January 19, 2018

कोशिशें मिट गईं दर्द मिटता नहीं....पावनी दीक्षित "जानिब"


आप की बात दिल पर असर कर गई 
हां लड़खड़ाई जुबां आंख भी भर गई।

कब कहां आपने हमको अपना कहा
कब कहां आपने हांथ थामा मेंरा
एक तरफा मोहब्बत तडपती रही
बस मैं ज़िंदा रही ज़िंदगी मर गई।

आप की बात दिल पर असर कर गई 
हां लड़खड़ाई जुबां आंख भी भर गई।

दिल में कांटे चुभे ज़ख़्म दिखता नही
कोशिशें मिट गईं दर्द मिटता नहीं
अब ये जाना के चाहत बुरी चीज़ है
ज़िंदगी मौत से बेख़बर कर गई।

आप की बात दिल पर असर कर गई 
लड़खड़ाए कदम आंख भी भर गई।

किसी उम्मीद से न मिला तू नज़र 
अब जुदा है हमारा तुम्हारा सफ़र
दर्द चाहत में मिलना तो दस्तूर है
आह दिल की ये जानिब खबर कर गई।

आप की बात दिल पर असर कर गई 
लड़खड़ाए कदम आंख भी भर गई।

पावनी दीक्षित "जानिब" 
सीतापुर

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (20-01-2018) को "आगे बढिए और जिम्मेदारी महसूस कीजिये" (चर्चा अंक-2854) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. Bahut sunder rachna....gahrai se likhi...Man ko bha gai

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  3. बहुत सुंदर सलिके से मन की भावो को शब्दो मे प्रकट किया है

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