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हमारे दिल से नया इन्तिक़ाम किसका है ।।
तुम्हारे हुस्न पे ताज़ा कलाम किसका है ।।
बिछीं हैं राह में पलकें, ज़िगर, उमीदें सब ।
सनम के वास्ते ये एहतिराम किसका है ।।
न दीन का ही पता और पता न ईमां का ।
बताऊं क्या तुझे क़ातिल अवाम किसका है ।।
मेरी क़िताब में गुल मिल रहे हैं कुछ दिन से ।
पता करो ये मुहब्बत का काम किसका है ।।
मैं मुन्तज़िर हूँ, मयस्सर कहाँ मुलाकातें ।
तुम्हारे ख़त में ये लिक्खा पयाम किसका है ।।
मिलो रक़ीब से लेकिन तुम्हें ख़बर ये रहे ।
सुकूनो चैन अभी तक हराम किसका है ।।
नज़र झुका के किया है कबूल तुमने जो ।
मेरे हबीब बताओ सलाम किसका है ।।
हयात तेरा भरोसा ही नहीं पल भर का ।
तमाम उम्र का यह इंतिज़ाम किसका है ।।
हरेक ज़र्रे में तुझको मिला ख़ुदा ज़ाहिद ।
अभी भी शक है तुझे अहतिमाम किसका है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
नज़र झुका के किया है कबूल तुमने जो ।
ReplyDeleteमेरे हबीब बताओ सलाम किसका है ।।
बेहतरीन अश़आर...
आभार..
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 03 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteआ0 अग्रवाल जी रचना को प्रकाशित करने के लिए तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह !!!
ReplyDeleteवाह !बहुत ही सुंदर
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