स्वर-लहरी
उमंग है जगाती
बीज है बोती ।
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नीला आकाश
खेतों की हरियाली
चंचल दृग।
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भील नारियाँ
सपने हैं पिरोती
गीत गाती ।
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हरी फसल
झूमता है नीर
धान की मेड़।
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बहता पानी
छुटकी मछलियाँ
किलोल करें।
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झूमे तालाब
कमल पंखुड़ियाँ
मधुर स्मित ।
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झूमता गेंदा
जीवन उपवन
यादें है महकी...
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प्यार तुम्हारा
बाबुल तुम बिन
कैसे पाऊँ।
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खिली- खिली-सी
बचपन की यादें
खुश है दिल ।
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कुहको मत
ओ काली कोयलिया
यादें सिसकी ।
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दिल कहता
हर पल बिताएं
प्रिय के साथ ।
-डॉ.निशा महाराणा ,
सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय , मंदसौर
बहुत बहुत धन्यवाद ...यशोदा जी ..
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 02 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
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