Sunday, March 1, 2020

टेसू के फूल...सीमा सिंघल

टेसू के फूल
फागुनी बयार में
लगे आग से!
.....
जीवन- गाड़ी
चलती, न थकती
अडिग मन !
.....
रंग अबीर
रंगरेज ने डारे
धरा सुखाती !
.....
गेंहू की बाली
फूली पीली सरसों
बसंत आया !
...
श्वेत कपास
या उड़ता बादल
घेरे है घटा !
- सीमा सिंघल

4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 01 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सुंदर 👌👌

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  3. टेसू के फूल
    फागुनी बयार में
    लगे आग से!
    बहुत ही उम्दा रचना। संयोगवश मैंने भी अपनी रचना में टेसू के फूल का एक अन्य आयाम रखा है। इसे जरूर पढ़ें और आपकी प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा । बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।

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  4. आभार आप सभी का ....

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