Sunday, March 22, 2020

हालात .....नादिर खान

नियम/अनुशासन
सब आम लोगों के लिए है
जो खास हैं
इन सब से परे हैं
उन पर लागू  नहीं होते
ये सब
ख़ास लोग तो तय करते हैं
कब /कौन/ कितना बोलेगा
कौन सा मोहरा
कब / कितने घर चलेगा
यहाँ शह भी वे ही देते हैं 
और मात भी
आम लोग मनोरंजन करते हैं 
आम लोगों का रेमोट
ख़ास लोगों के हाथों में होता है 
वे नचाते हैं
आम लोग नाचते हैं.....
मगर हालात
हमेशा एक जैसे नहीं होते
और न ही बदलने में वक़्त लगता
बस !! एक हल्का सा झटका
और खिसकने लगती है
पैरों के नीचे से ज़मीन
फिर जैसे मुट्ठी से रेत
जितना ज़ोर लगाओ
उतनी ही तेजी से फिसलते हैं हालात.....

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