Saturday, September 21, 2019

हसरतों के काफ़िले ....दिनेश पारीक "मेरा मन"

नजर मिलते ही ,हमारे ईमान गये
ऐ मोहब्बत ! हम तुमको पहचान गये

तुमको पाने, बेताब है हर शख्स यहाँ
कितने ही होकर यहाँ से परेशान गये

तेरा कहना कि समंदर, एक बूँद
पानी में है बंद, हम मान गये

देखकर तस्वीर तुम्हारी ,हमारे दिल में
देखने वाले सभी हैरान गये

ऐसे ही नहीं,तुम्हारी हसरतों के काफ़िले
से लुटकर सभी मेहमान गये

-दिनेश पारीक "मेरा मन"

2 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-09-2019) को "पाक आज कुख्यात" (चर्चा अंक- 3466) पर भी होगी।


    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  2. वाह उम्दा /बेहतरीन।

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