दफन थी जो बात दिल में
वो बात मैंने किसी से कहा नहीं
मिलने का वादा कर
तु मिलने आई क्यों नहीं
क्या कमी थी मुझमें दिल का जख्म
तेरी यादों से अभी तक भरा नहीं
इन आँखों में अब भी तेरा इन्तजार
वादा कर तु मिलने आई क्यों नहीं
ढू़्ंढा तुझे कहां-कहां
तेरा मकां मुझे मिला नहीं
दिल की बात रह गई दिल में
मोहब्बत का इजहार मुझसे हुआ नही
करता रहा मैं प्यार तुझसे
दुबारा तेरी सूरत दिखाई दी नहीं
-अर्जुन थापा 'चिन्तन'
बहुत अच्छी प्रस्तुति
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