Thursday, February 20, 2020

मेरा कुछ सामान ......पूजा प्रियंवदा

ईसा पूर्व और पश्चात जैसे
भावनाओं को बाँटने की सुविधा
देती नहीं हैं ज़िन्दगी

किसी पुरातत्त्व अवशेष जैसे
अचानक उभर आती हैं स्मृतियाँ
कुछ पाषाण हो चुकीं
कुछ अभी भी कंकाल

वो जो पहली बार दरका था विश्वास
अब भी किसी पर नहीं हो पाता
वो जो पेचीदा तरीकों से घुलनशील हैं यादें
उनका एक रंग हो चुका है
धूसर, मटमैला , काला

डॉक्टर कहते हैं "फैंटम लिंब "
कट जाने के बाद भी महसूसता है
टीसता है, रात भर जिसके दर्द ने
नींद की चोरी की है
तुम वो हिस्सा हो जो अब है ही नहीं

मेरा कुछ सामान ..
-पूजा प्रियंवदा

2 comments:

  1. Fantastic Content! Thank you for the post. It's very easy to understand. more:iwebking

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  2. बहुत सुन्दर

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