Monday, February 3, 2020

एक आम गृहणी का, एक आम दिन.....मृदुला प्रधान

एक आम गृहणी का, एक आम दिन.......

कभी प्लेट और कभी 

थाली में,
कभी चेन और कभी 
बाली में,
कभी 'स्वीपर' में,कभी 
माली में,
तो.....कभी चाय की 
प्याली में.
कभी परदों में ,कभी 
कभी नाली में,कभी 
फूलों में, कभी 
डाली में 
या फिर......
खिड़की की जाली में.
कभी मिर्च-मसाले,
नमक-तेल,
चावल,रोटी की 
टोली में,
कभी स्कूलों की 
भाग-दौड़,
'कालेज' की हँसी 
ठिठोली में.
कभी दही,दूध और 
छाली में,कभी  
भीड़ 
और कभी ख़ाली में,
कभी प्रत्युष की 
उजियाली में,
कभी गोधूली की 
लाली में........


4 comments:

  1. प्रशंसनीय

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  2. मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।

    रोमांटिक शायरी कलेक्शन

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  3. बस यही है एक आम गृहिणी का हर आम दिन.
    बहुत सादगी और ख़ूबसूरती से एक स्त्री के चरित्र को उकेरा है आपने .बधाइयाँ

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