Thursday, November 22, 2018

सेल्फ पोर्ट्रेट.....गुलजार


नाम तो सोचा ही न था, है कि नहीं
'अमा' कहकर बुला लिया इक ने
'ए जी' कहके बुलाया दूजे ने..
'अबे ओ' यार लोग कहते हैं..
जो भी यूँ जिस किसी के जी आया
उसने वैसे ही बस पुकार लिया..

तुमने इक मोड़ पर अचानक जब
मुझको 'गुलजार' कहके दी आवाज
एक सीपी से खुल गया मोती..
मुझको इक मानी मिल गये जैसे..

आह, यह नाम ख़ूबसूरत है..
फिर मुझे नाम से बुलाओ तो !
-गुलज़ार



3 comments:

  1. गुलजार तो गुलजार हैं।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (23-11-2018) को "कार्तिकपूर्णिमा-गुरू नानकदेव जयन्ती" (चर्चा अंक-3164) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    "कार्तिकपूर्णिमा-गुरू नानकदेव जयन्ती" की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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