रिश्ते...........डॉ. रति सक्सेना
कुछ रिश्ते
तपती रेत पर बरसात से
बुझ जाते हैं,
बनने से पहले
रिश्ते
ऐसे भी होते हैं
चिनगारी बन
सुलगते रहते हैं जो
जिन्दगी भर
चलते साथ कुछ कदम
कुछ रुक जाते बीच रास्ते
रिश्ते होते हैं कहाँ
जो साथ निभाते हैं
सफर खत्म होने तक
-डॉ. रति सक्सेना
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (26-11-2018) को "प्रारब्ध है सोया हुआ" (चर्चा अंक-3167) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
अत्ति सुन्दर, शेयर करने की लिए आप का धन्यवाद ! Lokhindi
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