Wednesday, October 17, 2018

जीने की वजह ........रंजना भाटिया


दुःख ...
आतंक ...
पीड़ा ...
और सब तरफ़
फैले हैं .............
न जाने कितने अवसाद ,
कितने तनाव ...
जिनसे मुक्ति पाना
सहज नही हैं
पर ,यूँ ही ऐसे में
जब कोई...
नन्हीं ज़िन्दगी
खोलती है अपने आखें
लबों पर मीठी सी मुस्कान लिए
तो लगता है कि
अभी भी एक है उम्मीद
जो कहीं टूटी नहीं है
एक आशा ...
जो बनती है ..
जीने की वजह
वह हमसे अभी रूठी नही है !
-रंजना भाटिया

3 comments:

  1. वाह बहुत सुंदर 👌👌

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18.10.18 को चर्चा मंच पर प्रस्तुत चर्चा - 3128 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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