Thursday, October 25, 2018

उसको हैरत में डालना है मुझे....अर्पित शर्मा





उसको हैरत में डालना है मुझे,
और दिल से निकालना है मुझे |



एहतियातो से उसको छूना है,

अपना दिल भी संभालना है मुझे |

तेरे और मेरे नाम का दीपक,
आसमां में उछालना है मुझे |

दश्त प्यासा है मेरे दिल का बहुत,
यानि दरिया निकालना है मुझे |

शाम होते ही से जो आती,
ऐसी यादो को टालना है मुझे |

दिल का क़ायम रहे अँधेरा भी,
और जुगनू भी पलना है मुझे |

 - अर्पित शर्मा "अर्पित"

10 comments:

  1. दिल का क़ायम रहे अँधेरा भी,
    और जुगनू भी पालना है मुझे |

    बढ़िया।

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  2. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-10-2018) को "प्यार से पुकार लो" (चर्चा अंक-3136) (चर्चा अंक-3122) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  5. वाह!!लाजवाब!!👌👌👌

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  6. वाह क्या बात,
    दिल का कायम रहे ,अंधेरा भी
    और जुगनू भी पालना है मुझे ....

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  7. वाह! बेहद ही खूबसूरत...

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  8. क्या कहूं? शब्द नहीं मिलते ।

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  9. कमाल के शेर ...
    नगीने जैसे चमकते हुए ... नए तेवर लिए ...

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