Wednesday, June 27, 2018

उम्र लंबी तो है मगर बाबा .....शीन काफ़ निज़ाम


उम्र लम्बी तो है मगर बाबा
सारे मंज़र हैं आँख भर बाबा

जिंदगी जान का ज़रर बाबा
कैसे होगी गुज़र बसर बाबा

और आहिस्ता से गुज़र बाबा
सामने है अभी सफ़र बाबा

तुम भी कब का फ़साना ले बैठे
अब वो दीवार है न दर बाबा

भूले बिसरे ज़माने याद आए
जाने क्यूँ तुमको देख कर बाबा

हाँ हवेली थी इक सुना है यहाँ
अब तो बाकी हैं बस खँडहर बाबा

रात की आँख डबडबा आई
दास्ताँ कर न मुख़्तसर बाबा

हर तरफ सम्त ही का सहरा है
भाग कर जाएँगे किधर बाबा

उस को सालों से नापना कैसा
वो तो है सिर्फ़ साँस भर बाबा

हो गई रात अपने घर जाओ
क्यूँ भटकते हो दर-ब-दर बाबा

रास्ता ये कहीं नहीं जाता
आ गए तुम इधर किधर बाबा
-शीन काफ़ निज़ाम



4 comments:

  1. मर्मस्पर्शी रचना शुभ प्रभात 🙏

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  2. वाह यथार्थ रचना ।

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  3. सुंदर लयबद्ध रचना अत्यंत मनमोहक भाव और शब्द !!सादर आभार आदरणीय यशोदा दी , इतनी सुंदर मनभावन रचना शेयर करने के लिए | आदरणीय कविवर को ढेरों शुभकामनायें | एक चक्कर उनके दुसरे रचना संसार पर भी लगा दिया है |सस्नेह --

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