Wednesday, June 13, 2018

पा ही जाओगे कोई मोती....भारत भूषण


ये उर-सागर के सीप तुम्हें देता हूँ ।
ये उजले-उजले सीप तुम्हें देता हूँ ।

है दर्द-कीट ने 
युग-युग इन्हें बनाया
आँसू के 
खारी पानी से नहलाया

जब रह न सके ये मौन, 
स्वयं तिर आए
भव तट पर 
काल तरंगों ने बिखराए

है आँख किसी की खुली 
किसी की सोती
खोजो, 
पा ही जाओगे कोई मोती

ये उर सागर की सीप तुम्हें देता हूँ
ये उजले-उजले सीप तुम्हें देता हूँ

-भारत भूषण

5 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 14 जून 2018 को प्रकाशनार्थ 1063 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.06.18 को चर्चा पंच पर चर्चा - 3001 में दिया जाएगा

    हार्दिक धन्यवाद

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  3. अद्भुत लेखन भूषण जी.. उम्दा

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  4. बहुत सुंदर !

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