इस निराश से भरे जीवन में
अशान्त से भरे मन में
अनुभूति है सुख-दुःख
जन्म-मरण के चक्र में
मानव की मानवता
खो गई है कदाचित भीड़ में
अंकुर फूटेगा जिसका पुनः एक दिन
शेष है बीज अभी भी उसका
होगा मानव जीवन हरा भरा
यह विश्वास है कवि को
जीवन में चारो ओर
सिर्फ प्रेम है और केवल प्रेम है
प्रेम न तो व्यापर है
न ही इर्ष्या और स्वार्थ
प्रेम तो है निश्छल और नि:स्वार्थ
प्रेम का एक ही नियम है
प्रेम... प्रेम... प्रेम...!
अंकुर फूटेगा एक दिन पुनः
क्योंकि यही जिंदगी का
नियम हैं।
कर तू जिंदगी से प्यार
स्वयं पर कर यकीन
सुन्दर है, साहस है जीवन
उमंग है, अभिव्यक्ति है जीवन
नहीं है जीवन अशुभ
कर युद्ध उससे
सफलता ही मिल जाएगा
यथार्थ में, जीवन ही आनंद है
आनंद ही ईश्वर है
अंकुर फूटेगा एक दिन पुनः
आनंद का
जीवन होगा सुन्दर
-सुमित जैन
सुंदर भावों वाली आशावादी कविता ।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-06-2018) को "क्या होता है प्यार" (चर्चा अंक-3007) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
प्रेम से संसार है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
सहज भाव पथ अग्रसर करता लेखन ....बेहतरीन
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