Saturday, June 2, 2018

अंधो के शहर मे आईना बेचने आया हूं.....कुसुम कोठारी

फिर से आज एक कमाल करने आया हूं 
अंधो के शहर मे आईना बेचने आया हूं।

संवर कर सुरत तो देखी कितनी मर्तबा शीशे में
आज बीमार सीरत का जलवा दिखाने आया हूं।

जिन्हें ख्याल तक नही आदमियत का
उनकी अकबरी का पर्दा उठाने आया हूं।

वो कलमा पढते रहे अत्फ़ ओ भल मानसी का
उन के दिल की कालिख का हिसाब लेने आया हूं।

करते रहे उपचार  किस्मत ए दयार का 
उन अलीमगरों का लिलार बांचने आया हूं।
         
-कुसुम कोठारी

अकबरी=महानता  अत्फ़=दया, किस्मत ए दयार= लोगो का भाग्य
आलमगीरों = बुद्धिमान, लिलार =ललाट(भाग्य)

13 comments:

  1. वाह!!! बहुत उम्दा!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार विश्व मोहन जी ।
      रचना सार्थक हुई ।

      Delete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-06-2018) को "दो जून की रोटी" (चर्चा अंक-2990) (चर्चा अंक-2969) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सादर आभार आदरणीय ।जी मै चर्चा मे अवश्य उपस्थित होऊगीं।

      Delete
  3. वाह वाह आमीन मीता ....जो करने का वादा लिख दिया मन सूखता हरा कर दिया दिखा आईना दिखाता काव्य अव्यक्त को व्यक्त करता काव्य

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार मीता आपकी प्रतिक्रिया उत्साह बढा गई ।

      Delete
  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन भारतीय महिला तीरंदाज़ खिलाड़ी - डोला बनर्जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सादर आभार ,रचना को चुन कर अपने मान बढ़ाया है मेरा और मेरे लेखन का, मुझे बुलेटिन पर आकर प्रसंता होगी

      Delete
  5. बहुत उम्दा रचना

    ReplyDelete
  6. सस्नेह आभार शकु जी।

    ReplyDelete
  7. वाह्ह्ह...गज़ब की अभिव्यक्ति दी...बेहद उम्दा..शानदार रचना...👌👌👌👌

    ReplyDelete
  8. वाह ! बहुत सुंदर !

    ReplyDelete