Friday, September 22, 2017

अहसासों की शैतानियाँ ...सीमा "सदा"


खूबसूरत से अहसास, 
शब्‍दों का लिबास पहन 
खड़े हो जाते जब
कलम बड़ी बेबाकी से 
उनको सजाती संवारती 
कोई अहसास 
निखर उठता बेतकल्‍लुफ़ हो 
तो कोई सकुचाता 
.... 
अहसासों की शैतानियाँ 
मन को मोह लेने की कला, 
किसी शब्‍द का जादू 
कर देता हर लम्‍हे को बेकाबू 
खामोशियाँ बोल उठती 
उदासियाँ खिलखिलाती जब 
लगता गुनगुनी धूप 
निकल आई हो कोहरे के बाद 
अहसासों के बादल छँटते जब भी 
कलम चलती तो फिर 
समेट लाती ख्‍यालों के आँगन में 
एक-एक करके सबको !!!!
-सीमा "सदा"

5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-09-2017) को "अहसासों की शैतानियाँ" (चर्चा अंक 2736) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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