वाह।
क्या बात है.....वाह!!!लाजवाब...
वाह्ह....बहुत खूब।
वाह क्या ख़ूब। बेमिसाल। दिल को छूती पंक्तियाँ। जब कलम लिखती नही इबादत करती है, दुआ पढ़ती है, सज़दा करती है तो ऐसे तबसिरे लिखे जाते हैं।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14-09-17 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2727 में दिया जाएगा धन्यवाद
नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 14 -09 -2017 को प्रकाशनार्थ 790 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।
वाह !!!!! लेखनी के बादशाह को शत -- शत नमन | इनकी तारीफ में कोई क्या कहे ? क्या सूरज को चिराग दिखाना सही है ?
इस सुंदर रचना को साझा करने हेतु सादर आभार ।
सत्य का साक्षात्कार कराती सुन्दर रचना आभार ,"एकलव्य"
nice story
वाह।
ReplyDeleteक्या बात है.....
ReplyDeleteवाह!!!
लाजवाब...
वाह्ह....बहुत खूब।
ReplyDeleteवाह क्या ख़ूब। बेमिसाल। दिल को छूती पंक्तियाँ। जब कलम लिखती नही इबादत करती है, दुआ पढ़ती है, सज़दा करती है तो ऐसे तबसिरे लिखे जाते हैं।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14-09-17 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2727 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 14 -09 -2017 को प्रकाशनार्थ 790 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।
ReplyDeleteवाह !!!!! लेखनी के बादशाह को शत -- शत नमन | इनकी तारीफ में कोई क्या कहे ? क्या सूरज को चिराग दिखाना सही है ?
ReplyDeleteइस सुंदर रचना को साझा करने हेतु सादर आभार ।
ReplyDeleteसत्य का साक्षात्कार कराती सुन्दर रचना आभार ,
ReplyDelete"एकलव्य"
nice story
ReplyDelete